पुनर्जन्म...... मतलब मरने के बाद दूसरा जन्म...ऐसा होता हैं या नहीं.. ये आप तब तक समझ नहीं सकते जब तक आपके सामने ऐसी कोई घटना या किस्सा ना आएं...।
मैंने और आप सभी ने अक्सर अखबारों में टेलीविजन पर या मोबाइल में ऐसे किस्से सुनें होंगे... लेकिन उन सभी में सच्चाई कितनी हैं... ये आज तक सिर्फ तर्क वितर्क का विषय ही हैं...। जिन्होने देखा उनके लिए पुनर्जन्म होता हैं... जिन्होंने नहीं देखा उनके लिए यह सिर्फ एक अफवाह मात्र हैं...।
मैं इस बारें में जब भी कुछ पढ़ती या देखती हूँ तो मुझे एक कहानी याद आतीं हैं...। ये कहानी मुझे मेरी मम्मी सुनाया करतीं थीं...। उस समय जब मनोरंजन के लिए ना मोबाइल होता था ना टेलीविजन तब हमारी ही तरह अधिकांश घरों में मनोरंजन के लिए बच्चे अपने घर के बुजुर्गों से या अपने माता पिता से कहानियाँ सुनते थे...। आज वही कहानी मैं आप सभी के साथ साझा कर रहीं हूँ... इस कहानी में मेरी मम्मी की यादें बसी हैं....। वैसे तो मम्मी ये कहानी हमें हमारी भाषा यानि सिंधी में सुनाया करतीं थीं... आज मैं कोशिश करुंगी इसे हिन्दी भाषा में लिखने के लिए... इस कहानी के मध्य में मम्मी एक गाना भी गाती थीं जिसे मैं शायद लिख ना पाऊँ.... लेकिन सरल भाषा में समझाने का प्रयत्न अवश्य करुंगी..।
कहानी की शुरुआत होतीं हैं इसकी नायिका सोनल से... चार भाइयों के बाद सोनल.... अपने पेरेंट्स और भाइयों की लाडली...। लेकिन वक्त के फेर में उसके सिर से छोटी उम्र में ही मां बाबा का साया उठ गया....। अपने पेरेंट्स के गुजर जाने के बाद भी चारों भाइयों ने उसे पलकों पर बिठा कर रखा... सोनल को कभी मां बाबा की कमी महसूस नहीं होने दी..। नाजो़ में पली सोनल वक्त के साथ बढ़ी हुई..। पैसे और रुतबे की कभी कोई कमी नहीं दी...। आखिर कार वो समय भी आया जब सोनल विवाह की उम्र में आई... ।
भाइयों को अब एक ऐसा लड़का तलाशना था जो सोनल को उनकी ही तरह पलकों पर बिठाकर रखें...। सयोंग से पास के ही गाँव में रहने वाले सेठ हंसमुख के बेटे का रिश्ता सोनल के लिए आया...। अच्छे से सारी इंक्वायरी निकालने के बाद आखिर कार सोनल के हाथ पीले किए गए...। सोनल पहली बार अपने भाइयों से दूर हो रहीं थीं... ये घड़ी जितनी मुश्किल सोनल के लिए थीं उससे कहीं गुना ज्यादा उसके चारो भाइयों के लिए भी थीं...। लेकिन वक्त के आगे किसकी चलीं हैं... दिल पर पत्थर रखकर चारों भाइयों ने सोनल को खुशी खुशी विदा किया...। साथ ही दहेज में सोने, चांदी के जवाहरात और ना जाने कितनी ही ऐशोआराम की चीजें भी दी..। चारो भाइयों ने सोनल की परवरिश में कोई रुकावट ना आए.. उसके साथ कभी कुछ गलत ना करे... गलत ना बोले... इसलिए किसी ने भी अपनी शादी और परिवार का कभी सोचा भी नहीं... जो कमाया... सिर्फ सोनल के लिए...।
सोनल अपने भाइयों से दूर... पहली बार किसी ओर के साथ.... अपने ससुराल आ गई....। लेकिन यहीं से उसकी किस्मत ने पलटी मारी...। सोनल के पति ने कुछ दिनों के प्यार के बाद अब उसे यातनाएं देना शुरू कर दिया...। ससुराल के सभी सदस्य उस पर अत्याचार करने लगे...। क्योंकि उन्होंने सोनल से विवाह सिर्फ पैसे के लिए ही करवाया था...।सोनल का पति अब पराई औरतों के साथ अय्याशी करके... मदिरापान करके घर आता ओर सोनल पर लात घूँसों की बौछार करता...। एक दिन ऐसे ही नशे की हालत में घर आकर सोनल के पति ने उसे बिना बात के मारना पीटना शुरू कर दिया...। मारते मारते जब वो थक गया तो बिस्तर पर जाकर सो गया...। इस बात से वो अंजान था की आज सोनल पहले से ही बुखार में तप रहीं थीं ओर फर्श पर पड़ी सोनल मार खाते खाते दम तोड़ चुकी थीं...।
जिस वक्त सोनल के प्राण निकले ठीक उसी वक्त उसके मायके में चारो भाई खाना खाने बैठे थे... लेकिन किसी के गले से एक कौर भी नहीं ऊतर रहा था...। उसी वक्त सबसे छोटा भाई बोला :- भाई... बहुत हो गया... अब मुझसे नहीं रहा जाता... मैं सवेरे सोनल से मिलने जा रहा हूँ बस...।
छोटे.. याद तो हमें भी बहुत आती हैं... हम सब भी कहाँ उसके बिना रह पा रहे हैं... ओर आज तो सवेरे से बैचेनी भी हो रहीं हैं..। बहुत दिनों से कुछ खबर भी नहीं आई हैं...। लेकिन छोटे हम लड़की वाले हैं...। हम ऐसे बिना उनके बुलाए नहीं जा सकते...।
लेकिन भाई... मिलने तो जा सकते हैं ना... मैं कितने दिनों से आपको बोल रहा हूँ... । एक बार जाने दिजिए मैं देखकर आ जाऊंगा बस...।
ठीक हैं... छोटे.... चले जाना... लेकिन याद रहें बेटी के घर का कुछ खाना पीना नही हैं...।
छोटे भाई के चेहरे की रौनक देखने जैसी थीं... उसे तो मानो कुबेर का खजाना मिल गया हो...।
वहीं दूसरीओर कुछ घंटों बाद जब सोनल के ससुराल वालों ने अपने बेटे को खाना खाने के लिए बुलाने उनके कमरे में गए.. तो फर्श पर पड़ी सोनल के नाक और मुंह से निकलते खुन को देखा...। उसको एक तरफ़ हटाने के लिए जैसे ही उन्होंने सोनल को छुआ तो उसका शरीर ठंडा पर चुका था...। उन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुवे तुरंत अपने बेटे को उठाया ओर सारी परिस्थितियों से अवगत करवाया...।
आनन फानन में उन सभी ने मिलकर सोनल की लाश को गाँव के बाहर खाली जमीन में दफनाने का विचार किया... ओर अपने काम को रात के अंधेरे में अंजाम भी दिया...।
सवेरे की पहली किरण के साथ ही सोनल का सबसे छोटा भाई अपनी बहन के लिए ढेरों उपहार लेकर उससे मिलने पैदल ही निकल पड़ा...। दोपहर की पहली किरण निकलते ही वो सोनल के ससुराल पहुंचा और उसे घर के बाहर से आवाज देने लगा...। सोनल का पति और ससुराल के लोग आवाज सुनकर बाहर आए ओर उसके भाई की खुब आवभगत की फिर उससे अचानक आने का कारण पुछा...। तो उसने सिर्फ सोनल से मिलने की इच्छा जताई...।
ये सुन सोनल का पति बोला :- क्या मजाक कर रहें हो साले साहब... सोनल से मिलने यहाँ आने का क्या मतलब....अरे वो आप ही के घर तो है...!
हमारे घर...!
हां... अरे वो तो दो दिन पहले ही यह कह कर निकल गई थीं की भाइयों की बहुत याद आ रहीं हैं... मन नहीं लग रहा है... मुझे मिलने जाना हैं.... मैने उसे बहुत समझाया की कुछ दिन रुक जा फिर साथ में चलते हैं... लेकिन वो रोने लगी इसलिए मैंने उसे जाने दिया...।
ये कैसे हो सकता हैं... वो तो हमारे यहाँ पहुंची ही नहीं...।
shweta soni
22-Dec-2022 07:30 PM
बहुत सुंदर रचना 👌
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Abhinav ji
20-Dec-2022 08:23 AM
Nice 👍👍
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Gunjan Kamal
20-Dec-2022 03:27 AM
रचना अधूरी दिख रही है
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